शरद पूर्णिमा 2025

6 अक्टूबर 2025 को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा, जो विशेष रूप से चंद्रमा की 16 कलाओं से युक्त होने के कारण अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने की परंपरा का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है।


🌕 शरद पूर्णिमा पूजा विधि (Sharad Purnima Puja Vidhi)

  1. व्रत और उपवास: इस दिन उपवास रखने की परंपरा है, जिसमें फलाहार या जलाहार लिया जाता है।
  2. चंद्रमा की पूजा: रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर उसकी पूजा करें।
  3. खीर बनाना: चंद्रमा की पूजा के बाद खीर बनाएं और उसे चांद की रोशनी में रखें।
  4. प्रसाद वितरण: अगले दिन प्रातः खीर को प्रसाद के रूप में वितरित करें।

🕰️ शुभ मुहूर्त (Sharad Purnima 2025 Muhurat)

  • शरद पूर्णिमा तिथि: 6 अक्टूबर 2025, सोमवार, दोपहर 12:23 बजे से 7 अक्टूबर 2025, सुबह 9:16 बजे तक।
  • चंद्रमा का उदय: 6 अक्टूबर को शाम 5:27 बजे।
  • खीर रखने का शुभ समय: रात्रि 10:37 बजे से 12:09 बजे तक (लाभ-उन्नति मुहूर्त)।
  • भद्रा काल: 6 अक्टूबर को दोपहर 12:23 बजे से रात्रि 10:53 बजे तक।

🍚 खीर का महत्व और बनाने की विधि

शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में रखी खीर को ‘अमृत’ के समान माना जाता है। इसे बनाने के लिए:

  • सामग्री: 2 कप दूध, 1/4 कप चावल, 1 कप चीनी, 1 चम्मच इलायची पाउडर, 2 टेबलस्पून कटे हुए मेवे, और कुछ केसर के धागे।
  • विधि:
    1. दूध को उबालें और उसमें चावल डालकर धीमी आंच पर पकाएं।
    2. चावल पकने पर उसमें चीनी और इलायची पाउडर डालें।
    3. फिर मेवे और केसर डालकर कुछ देर और पकाएं।
    4. खीर तैयार होने पर उसे चांद की रोशनी में रखें।

🌙 चांद की रोशनी में खीर रखने का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होते हैं। खीर को चांद की रोशनी में रखने से उसमें अमृत समान तत्व समाहित हो जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं।


🧘‍♀️ शरद पूर्णिमा के दिन ध्यान रखने योग्य बातें

  • सात्विक आहार: मांसाहार, प्याज, लहसुन, मदिरा आदि का सेवन न करें।
  • सकारात्मक सोच: मन में द्वेष, घृणा और अहंकार की भावना न रखें।
  • धार्मिक अनुष्ठान: पूजा विधि का पालन श्रद्धा और विश्वास के साथ करें।

शरद पूर्णिमा का यह पर्व आपके जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति का कारण बने। उपरोक्त विधियों और समय का पालन करके आप इस पर्व का पूर्ण लाभ उठा सकते हैं।

शरद पूर्णिमा के दिन पृथ्वी पर आती है मां लक्ष्मी मुख्य द्वार पर जरूर करें यह काम

नारद पुराण के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात माता उल्लू पर सवार होकर पृथ्वी पर आती हैं

शरद पूर्णिमा पर रात्रि के समय देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने के साथ दीप भी जलाए जाते हैं। रात्रि में दीपक जलाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है। रात्रि में आपको दरवाजे पर देसी घी का दीपक जरूर जलाना चाहिए। रात्रि में द्वार पर दीपक जलाने का अर्थ यह होता है कि आप माता लक्ष्मी का स्वागत कर रहे हैं और उन्हें आगमन का निमंत्रण दे रहे हैं।

शरद पूर्णिमा पर आपके घर लक्ष्मी आगमन के लिए विशेष उपाय


आप प्रात जल्दी उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें तुलसी की पत्तियां डालकर कुछ देर छोड़ दें। अब इस पानी को घर के सभी कोनों में और मुख्य द्वार पर छिड़कें। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ऐसा करने से आपके घर नकारात्मक ऊर्जा चली जाएगी।**Big Festive  – Get  ,100% Loan*, L

कार्तिक मास का महत्व: शरद पूर्णिमा के बाद आध्यात्मिक यात्रा

हिंदू पंचांग के अनुसार, शारद पूर्णिमा के दिन कार्तिक माह का आरंभ होता है। यह महीना धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है। कार्तिक मास में लोग विशेष पूजा, व्रत और भक्ति के माध्यम से अपने जीवन में शांति और समृद्धि लाने का प्रयास करते हैं।


कार्तिक मास कब होता है?

कार्तिक मास आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर के महीने में आता है और यह पूर्णिमा से अगले पूर्णिमा तक चलता है। इसे पवित्र इसलिए माना जाता है क्योंकि इस मास में भगवान विष्णु की विशेष आराधना की जाती है।


कार्तिक मास का धार्मिक महत्व

  1. भगवान विष्णु की पूजा
    कार्तिक मास में भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा का विशेष महत्व है। इस मास में किए गए पूजा और व्रत से पाप नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  2. गंगा स्नान का महत्व
    इस माह में लोग पवित्र गंगा स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि गंगा स्नान करने से सभी पाप धो दिए जाते हैं और आत्मा शुद्ध होती है।
  3. धन लाभ और सुख-समृद्धि
    कार्तिक मास में दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। इस मास में दान करने से धन लाभ और वैभव की प्राप्ति होती है।
  4. भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति
    भजन, कीर्तन, और जप-मंत्र का विशेष महत्व है। इस मास में भक्ति मार्ग अपनाने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।

कार्तिक मास में विशेष तिथियाँ और व्रत

  • प्रदोष व्रत: हर सोमवार या शुक्रवार को प्रदोष व्रत का पालन किया जाता है।
  • कृत्तिका पूर्णिमा: कार्तिक मास की पूर्णिमा को विशेष रूप से पूजा और उत्सव मनाए जाते हैं।
  • दीपावली (दीपोत्सव): कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का पर्व मनाया जाता है, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है।

कार्तिक मास में क्या करें

  • प्रतिदिन सूर्योदय से पहले स्नान और पूजा करें।
  • घर और मंदिर में दीप जलाएं
  • भगवान विष्णु और देवी-देवताओं के भजन-संकीर्तन में भाग लें।
  • गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें

निष्कर्ष

कार्तिक मास केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक और मानसिक शांति के लिए भी महत्वपूर्ण है। शारद पूर्णिमा से शुरू होने वाला यह पवित्र महीना भक्ति, दान, और पुण्य कर्मों का प्रतीक है। इस मास में की गई साधना, व्रत और पूजा का फल जीवन में सौभाग्य, स्वास्थ्य और समृद्धि लाता हैं।

Leave a comment