शारदीय नवरात्रि 2025 कन्या पूजन

शारदीय नवरात्रि 2025: 

🪔 शारदीय नवरात्रि 2025: तिथि, महत्व, व्रत व पूजा विधि

शारदीय नवरात्रि 2025 का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस पावन पर्व में माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इसे मां शक्ति का महापर्व कहा जाता है। भक्तगण पूरे नौ दिन व्रत रखते हैं और माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

📅 शारदीय नवरात्रि 2025 की तिथियां

प्रारंभ: 22 सितंबर 2025 (सोमवार)

समापन: 1 अक्टूबर 2025 (बुधवार)

महाअष्टमी व महानवमी: 29-30 सितंबर 2025

कन्या पूजन: 30 सितंबर या 1 अक्टूबर 2025

👉 इस वर्ष शारदीय नवरात्रि सोमवार से प्रारंभ हो रही है, जिसे बहुत शुभ माना जाता है।

🙏 नवरात्रि का महत्व

नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री – की पूजा होती है।

यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।

नवरात्रि में व्रत रखने से मन शुद्ध होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

🪔 नवरात्रि पूजा विधि

1. कलश स्थापना करें (घटस्थापना)।

2. दुर्गा सप्तशती, देवी चालीसा और मां के मंत्रों का पाठ करें।

3. नौ दिनों तक व्रत रखें और सात्विक भोजन करें।

4. अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन करें।

🍲 नवरात्रि व्रत नियम

अनाज, प्याज, लहसुन और मांसाहार वर्जित है।

फलाहार, साबूदाना, आलू, कुट्टू और सिंघाड़े का आटा सेवन किया जाता है।

सात्विकता और शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।

🌸 शारदीय नवरात्रि 2025 कन्या पूजन

कन्या पूजन को नवरात्रि का सबसे अहम अनुष्ठान माना गया है। इसमें 2 से 10 साल की कन्याओं और एक छोटे बालक (लंगूरिया) को भोजन कराया जाता है और आशीर्वाद लिया जाता है।

🌸 नवरात्रि 2025 मंत्र जाप 

📅 पहला दिन – माँ शैलपुत्री

मंत्र:

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः

👉 108 बार जाप करें, मन में स्थिरता और शांति मिलेगी।

📅 दूसरा दिन – माँ ब्रह्मचारिणी

मंत्र:

ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः

👉 साधना, संयम और धैर्य की प्राप्ति होती है।

📅 तीसरा दिन – माँ चंद्रघंटा

मंत्र:

ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः

👉 भय व संकटों से मुक्ति मिलती है।

📅 चौथा दिन – माँ कूष्मांडा

मंत्र:

ॐ देवी कूष्मांडायै नमः

👉 रोगों से मुक्ति और जीवन में ऊर्जा का संचार।

📅 पाँचवा दिन – माँ स्कंदमाता

मंत्र:

ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः

👉 संतान सुख और पारिवारिक सुख-शांति की प्राप्ति।

📅 छठा दिन – माँ कात्यायनी

मंत्र:

ॐ देवी कात्यायन्यै नमः

👉 विवाह और रिश्तों में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं।

📅 सातवां दिन – माँ कालरात्रि

मंत्र:

ॐ देवी कालरात्र्यै नमः

👉 शत्रु, तंत्र-मंत्र और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा।

📅 आठवां दिन – माँ महागौरी

मंत्र:

ॐ देवी महागौर्यै नमः

👉 मन और जीवन की पवित्रता, सुख-समृद्धि की प्राप्ति।

📅 नौवां दिन – माँ सिद्धिदात्री

मंत्र:

ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः

👉 सभी सिद्धियों की प्राप्ति और जीवन में सफलता।

🪔 जाप नियम

हर दिन प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।

दीपक जलाकर फूल और अक्षत अर्पित करें।

रुद्राक्ष/चंदन की माला से कम से कम 108 बार मंत्र का जाप करें।

जाप के बाद दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करना श्रेष्ठ होता है।

🙏 नवरात्रि कथा हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और श्रद्धा से पढ़ी जाने वाली कथा है। यह कथा देवी दुर्गा की महिमा और असुरों पर उनकी विजय का वर्णन करती है।

🌸 नवरात्रि कथा

प्राचीन काल में महिषासुर नामक एक असुर ने कठोर तपस्या करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और अमर होने का वरदान माँगा। ब्रह्मा जी ने कहा कि यह संभव नहीं है, तब महिषासुर ने वरदान माँगा – “कोई देवता, दानव या राक्षस मुझे न मार सके, मेरी मृत्यु केवल किसी स्त्री के हाथों हो।”

वरदान पाकर महिषासुर अत्याचारी बन गया। उसने स्वर्ग पर आक्रमण किया और सभी देवताओं को पराजित कर दिया। देवता भयभीत होकर भगवान विष्णु, शिव और ब्रह्मा के पास पहुँचे। तब तीनों ने अपनी-अपनी शक्तियों का संचार कर एक दिव्य शक्ति का सृजन किया – देवी दुर्गा।

माँ दुर्गा ने दसों दिशाओं से शक्तियों को ग्रहण किया –

भगवान शिव से त्रिशूल,

भगवान विष्णु से चक्र,

इंद्र से वज्र,

वरुण से शंख,

अग्नि से शक्ति,

वायु से धनुष-बाण,

यमराज से गदा,

और विभिन्न देवताओं से अस्त्र-शस्त्र।

सिंह पर सवार होकर माँ दुर्गा ने महिषासुर से नौ दिनों तक भीषण युद्ध किया। अंततः दसवें दिन (विजयादशमी) माँ ने महिषासुर का वध कर दिया। तभी से यह पर्व नवरात्रि और दशहरा के रूप में मनाया जाता है।

🙏 नवरात्रि में माँ दुर्गा की आरती का पाठ करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। यहाँ प्रस्तुत है माँ दुर्गा की आरती :

🌸 माँ दुर्गा जी की आरती 🌸

आरती अम्बे जी की, जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख-संपत्ति पावे॥

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु अविनाशी॥

जय अम्बे गौरी…

चन्द्र जैसी शीतल, महिमा तेरी।

हृदय में बसो माता, जगदम्बे भवानी॥

जय अम्बे गौरी…

सृष्टि की अधिष्ठात्री, तुम हो भवानी।

दुःख हरने वाली, सुख-समृद्धि दानी॥

जय अम्बे गौरी…

🪔 आरती का महत्व

नवरात्रि के दौरान रोज़ सुबह-शाम आरती करने से माँ की कृपा प्राप्त होती है।

घर में शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा आती है।

आरती के समय दीपक, अगरबत्ती और घंटी का प्रयोग अवश्य करें।

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