by Sonia

Ganesh Visarjan 2025 उपाय : कब मनाई जाएगी अनंत चतुर्दशी? बप्पा के विसर्जन पर इन चीजों का करें दान, बरसेगी कृपा!
इस बार अनंत चतुर्दशी 6 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ गणेश विसर्जन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से सुख-समृद्धि और आर्थिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
Ganesh visarjan 2025
चतुर्दशी तिथि का समय
- शुरू होगी: सुबह 3:12 बजे, 6 सितंबर 2025
- समाप्त होगी: रात 1:41 बजे, 7 सितंबर 2025
इसलिए पर्व का उत्सव 6 सितंबर 2025 को मनाया जाएगा।
Ganesh Chaturthi 2025: भगवान गणेश की पूजा इस आरती के बिना है अधूरी, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी
गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की आरती से सुख-शांति और सफलता मिलती है। यह त्योहार एकता और प्रेम का संदेश देता है। भक्त उत्साह से पूजा करते हैं।

भगवान गणेश जी को विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता कहा जाता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में सबसे पहले उनकी पूजा की जाती है। मान्यता है कि गणपति बप्पा की आराधना के बिना कोई भी पूजा पूरी नहीं मानी जाती। गणेश चतुर्थी का पर्व इस साल 27 अगस्त से 6 सितंबर तक मनाया जाएगा। यह त्योहार भगवान गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। गणेश जी को बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि का देवता माना जाता है ।
इन 10 दिनों तक भक्त बड़े उत्साह और भक्ति के साथ गणपति बप्पा की पूजा करते हैं। घरों और पंडालों में सुंदर प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं और रोज़ आरती, भजन और पूजा होती है। लोग प्रसाद बांटते हैं और मिलजुलकर इस पर्व को खुशी से मनाते हैं। इस प्रकार, गणेश चतुर्थी न केवल धार्मिक महत्व रखती है बल्कि लोगों को आपसी प्रेम, भाईचारे और एकता का संदेश भी देती है।
भगवान गणेश की पूजा एक आरती के बिना अधूरी मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि गणेशोत्सव के दौरान इस आरती को करते हैं तो इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। गणेश आरती करने से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। व्यापार और कार्यों में सफलता मिलती है। अगर विद्यार्थी सच्चे मन से गणेश जी की आरती करते हैं तो पढ़ाई में ध्यान केंद्रित होता है और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
गणेश आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े, फल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
निष्कर्ष : गणेश चतुर्थी एक ऐसा त्योहार है जो सिर्फ़ उत्सव से कहीं बढ़कर है; यह सामुदायिक भावना, भक्ति और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है। जब आप इस उत्सव में शामिल होते हैं, चाहे घर पर हों या सार्वजनिक स्थानों पर, आप एक दीर्घकालिक परंपरा में योगदान देते हैं जो भगवान गणेश का सम्मान करती है और लोगों को एक साथ लाती है।
गणेश की शिक्षाएं आपको चुनौतियों को स्वीकार करने, ज्ञान प्राप्त करने और एकता को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, जिससे गणेश चतुर्थी न केवल आनंद का समय बन जाती है, बल्कि चिंतन और विकास का काल भी बन जाती है।